Mission
आयुर्वेद - जीवन और दीर्घायु का विज्ञान
आयुर्वेद जिसका अर्थ है जीवन और दीर्घायु का विज्ञान I आयुर्वेद के प्राचीन धर्म ग्रंथो के अनुसार यह देवताओं की चिकित्सा पद्धति है जिसके ज्ञान को मानव कल्याण के लिए देवताओं द्वारा धरती के महान आचार्यों को दिव्य उपहार स्वरूप में दिया गया। सृष्टि उत्पत्ति के पूर्व से ही अथर्ववेद के उपवेद के रूप में आयुर्वेद उत्पन्न हुआ I
"आयुर्वेद -अर्थात-जड़ी बूटियों का संसार " हमारे धर्म ग्रंथों में हजारों प्रकार की दिव्य जीवन दायक वनस्पतियों का विस्तार से वर्णन किया गया है ,वनस्पतियों में देवी - देवताओं का निवास स्थान माना जाता है ,आयुर्वेद में अनेक दिव्य चमत्कारी वनस्पतियों व इनकी दैवीय संजीवनी शक्ति का वर्णन है, जैसे :- प्रजापति दक्ष के सिर को बकरे के शीश से पुनःजोड़ना,च्यवनऋषि की वृद्धावस्था को यौवनावस्था में परिवर्तित करना,संजीवनी बूटी,अनेक प्रकार के लेप ,औषधि,आसव ,रस ,क्वाथ ,चूर्ण , शोधित सिद्ध घी तैल आदि तथा कायाकल्प जैसे औषधीय योगों का वर्णन है I
सनातन धर्म सेवा समिति आध्यात्मिक सिद्धि साधना जन कल्याण केंद्र का लक्ष्य लुप्तप्राय वनस्पतियों का रोपण, संवर्धन व आयुर्वेद की जन उपयोगिता के क्षेत्र में सार्थक प्रयास I
योगासन प्राणायाम की महिमा
सनातन धर्म ऋषि, मुनियों की परम्परा के अनुसार योगासन शरीरिक, मानसिक,आध्यात्मिक जगत की सहज साध्य और सर्व सुलभ व बिना साधन- सामग्री की व्यायाम पद्धति है जो कि मानव के लिए वरदान से कम नही है |
अनेक दिव्य चमत्कारी प्राणायाम है जो शारीरिक मानसिक आध्यात्मिक सिद्धि साधनाओं को देने वाले हैं स्वर ही प्राण है, स्वर ही ब्रह्म है, स्वर साधना ही लौकिक-पारलौकिक सुखों को देने वाला है
आसनों का मुख्य उद्देश्य शरीर के मल का नाश करना है। शरीर से मल या दूषित विकारों को नष्ट करना हो,शरीर की स्वस्थ्यता मन की स्थिरता आध्यात्मिक उन्नति के योग्य होना , शरीर मन और बुद्धि की सहायता से आत्मा-परमात्मा संबंध को जोड़ने का प्रयास करना I
सनातन धर्म सेवा समिति आध्यात्मिक सिद्धि साधना जन कल्याण केंद्र का लक्ष्य योग एवं प्राणायाम की उपयोगिता का प्रचार प्रसार करना हैI
गौ सेवा संकल्प योजना
वेदों में कहा गया है
गावो विश्वस्य मातरः।
अर्थात् गाय सम्पूर्ण विश्व की माता है।
मातरः सर्वभूतानां गावः सर्वसुख:
‘गौएँ सभी प्राणियों की माता कहलाती हैं।
वे सभी को सुख देने वाली हैं।’
गवा मूत्रपूरीषस्य नोद्विजेत: कदाचन ।
धर्म, अर्थ ,काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों की सिद्धि गौ से ही सम्भव है , गौ या गाय हमारी संस्कृति की प्राण है। यह गंगा, गायत्री, गीता, गोवर्धन और गोविन्द की तरह पूज्य है।
यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्।
तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥
अनुवाद - जिसने समस्त चराचर जगत् को व्याप्त कर रखा है, उस भूत और भविष्य की जननी गौ माता को मैं मस्तक झुका कर प्रणाम करता हूं
हिंदू धर्म में गाय को माता कहा गया है। पुराणों में धर्म को भी गौ रूप में दर्शाया गया है।भगवान श्रीकृष्ण गाय की सेवा अपने हाथों से करते थे और इनका निवास भी गोलोक बताया गया है। इतना ही नहीं गाय को कामधेनु के रूप में सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला भी बताया गया है।
सनातन धर्म में गाय को गौ माता कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की थी तो सबसे पहले गाय को ही पृथ्वी पर भेजा था।विश्व के समस्त प्राणियों में गाय ही है जो माँ शब्द का उच्चारण करता है, इसलिए माना जाता है कि माँ शब्द की उत्पत्ति भी गौवंश से हुई है।
सनातन धर्म सेवा समिति आध्यात्मिक सिद्धि साधना जन कल्याण केंद्र द्वारा गौ सेवा संकल्प के लक्ष्यों को प्राप्त करना है I
प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति
प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के अन्तर्गत रोगोंपचार व स्वास्थ्य-लाभ,रोगाणुओं से लड़ने की शरीर की अपनी स्वाभाविक शक्ति जैसी विभिन्न चिकित्सा पद्धतियां :-
लोक पारम्परिक चिकित्सा
सूर्य रश्मि चिकित्सा,
मृदा -जल- चिकित्सा ,
वायु चिकित्सा,
रंग चिकित्सा (क्रोमो थैरेपी),
ताप या शीत चिकित्सा( हाइड्रो थैरेपी),
चुम्बकीय- चिकित्सा,
उपवास,आहार-पोषण चिकित्सा
नेचुरोपैथी, एक्यूपंक्चर,एक्यूप्रेशर,
तैलाभ्यंगादि - चिकित्सा(मासो- थैरेपी)
आदि प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में विश्व में विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों का प्रचलन है; प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति आधुनिक भौतिक युग में विशेष रूप से कारगर व ईश्वरीय वरदान हैI सनातन धर्म सेवा समिति आध्यात्मिक सिद्धि साधना जन कल्याण केंद्र का लक्ष्य प्राकृतिक - चिकित्सा के क्षेत्र में प्रभावकारी व सार्थक प्रयास I
स्वर साधना विज्ञान
स्वर साधना शारीरिक,मानसिक ,आध्यात्मिक सिद्धि साधना व जीवन में सर्वत्र सफलता तथा दीर्घायु का वरदान देने वाला सरल, सहज व सर्वसुलभ साधना के रूप में जाना जाता है, जो अचूक व चमत्कारी परिणाम देने वाला प्रामाणिक विज्ञान है |शरीर की मानसिक और शारीरिक क्रियाओं से लेकर दैवीय सम्पर्कों,आसपास घटित होने वाली घटनाओं को भी प्रभावित करने की क्षमता रखता है,स्वर विज्ञान का सहारा लेकर आप जीवन को नई दिशा दृष्टि दे सकते है
दिव्य जीवन का निर्माण कर सकते हैं,तथा लौकिक एवं पारलौकिक यात्रा को सफल बना सकते हैं। आप अपने सम्पर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति और आसपास की धाराओं तक को बदल सकने का सामर्थ्य पा जाते हैंI
सनातन धर्म सेवा समिति आध्यात्मिक सिद्धि साधना जन कल्याण केंद्र का लक्ष्य स्वर विज्ञान के महत्व व उपयोगिता लिए कार्य करना है |
पिरामिड विज्ञान
पिरामिड ऊर्जा व दैवीय शक्ति का भंडार है, निश्चित ज्यामितीय कोण से बने हुए त्रिभुज जैसे आकार प्रकारों से बनी हुई संरचना है ,जिसका उपयोग मठ मंदिर के गुम्बद ,शिखर कलश और घरों की छत बनाने में में हमारे पूर्वज करते रहे हैं ,समस्त पेड़ पौधों से लेकर प्रत्येक प्राकृतिक संरचना में लगभग पिरामिड का ही आकार दिखाई पड़ता है,श्री यंत्र का निर्माण , एक्यूप्रेशर के उपकरण आदि में पिरामिड का उपयोग ज्ञात -अज्ञात रूप से होता रहा है, दैवीय शक्ति, व ब्रह्माण्ड की ऊर्जा का संबंध भी पिरामिडों से होता है | इनके उपयोग से हम विभिन्न प्रकार के आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त कर सकते हैंI
पिरामिड ज्ञान - विज्ञान के क्षेत्र में सनातन धर्म सेवा समिति आध्यात्मिक सिद्धि साधना का लक्ष्य जन कल्याण केंद्र का लक्ष्य पिरामिड से सिद्धि साधना के लक्ष्यों को प्राप्त करना हैI
यज्ञ ज्ञान भी है और विज्ञान भी
विश्व के कल्याण की कामना से , पृथ्वी, आकाश, वायु अग्नि,जल अर्थात पञ्च महाभूतों की तृप्ति व पोषण के लिए , प्रदूषण-पर्यावरण के लिए, रोग-महामारियों से बचाव के लिए सांसारिक सुखों व कामनाओं की पूर्ति के लिए ,आध्यत्मिक उन्नति के लिए , समस्त सिद्धि - साधनाओं की प्राप्ति के लिए ,मृत्युतुल्य कष्टों से मुक्ति के लिए , किसी भी प्रकार के बन्धनों से मुक्ति के लिए नये नये अनुसंधान व आविष्कारों के लिए,सर्वत्र विजय व मान- सम्मान प्राप्ति के लिए,सुख-समृद्धि,धन- वैभव प्राप्ति के लिए , उच्च पद ,सत्ता सुख प्राप्ति के लिए , ईष्ट सिद्धि व साक्षात्कार के लिए यज्ञ किये जाते रहे है , और करने चाहिए
वेदों का मुख्य आधार यज्ञ , सृष्टि की उत्पत्ति -उन्नति का आधार यज्ञ ,जीवन का आधार और कर्त्तव्य है यज्ञ समस्त सिद्धि, साधनाओं ,कामनाओं की पूर्ति का मूल है यज्ञ , समस्त समस्याओं का समाधान है यज्ञ ,समस्त विद्याओं व विधाओ का स्रोत है यज्ञ ,स्वयं नारायण है यज्ञ , प्रकृति स्वयं यज्ञ है ,जीवन भी साधना यज्ञ ही है |
जल संरक्षण , वृक्षारोपण ,पर्यावरण
जल संरक्षण , वृक्षारोपण ,पर्यावरण , स्वच्छता के क्षेत्र में जन जागृति
सनातन धर्म सेवा समिति आध्यात्मिक सिद्धि साधना जन कल्याण केंद्र का लक्ष्य जल संरक्षण , वृक्षारोपण ,पर्यावरण , स्वच्छता के क्षेत्र में जन जागृति के लिए प्रयास
अनाथ, परित्यक्त, वृद्ध, असहाय
अनाथ, परित्यक्त, वृद्ध, असहाय तथा जरूरतमंद लोगो के जीवन उन्मूलन के लिए प्रयास सनातन धर्म सेवा समिति आध्यात्मिक सिद्धि साधना जन कल्याण केंद्र का लक्ष्य अनाथ, परित्यक्त, वृद्ध, असहाय तथा जरूरतमंद लोगो के जीवन उन्मूलन के लिए प्रयास