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    तीर्थ ,धाम और दैवीय सम्पदाएँ

    भगवान के चौबीस अवतार
    January 11, 2021

    सप्त लोक★
    भू: (भूलोक)• भुवः(भुवर्लोक)•
    स्व:(स्वर्लोक)•महः( महर्लोक)• जनः(जनलोक)•
    तपः(तपोलोक)• सत्य( सत्यलोक)•

    यह समस्त भूमण्डल पचास करोड़ योजन विस्तार वाला है।
    इसकी ऊंचाई सत्तर हजार योजन है। इसके नीचे सात पाताल नगरियां हैं I

    ★ सप्त पाताल लोक★
    ●अतल ●वितल
    ●सुतल ● तलातल ●महातल
    ● रसातल ●पाताल

    सुन्दर महलों से युक्त वहां की भूमियां शुक्ल, कृष्ण, अरुण और पीत वर्ण की तथा कंकरीली, पथरीलीऔर सुवर्णमयी हैं। वहां दैत्य, दानव, यक्ष और बड़े बड़े नागों की जातियां निवास करतीं हैं।वहां अरुणनयन हिमालय के समान केवल एक ही पर्वत है :-

    विष्णु पुराण के अनुसार यह पृथ्वी सात द्वीपों में बंटी हुई है। ये सातों द्वीप चारों ओर से क्रमशः खारे पानी, इक्षुरस, मदिरा, घृत, दधि, दुग्ध और मीठे जल के सात समुद्रों से घिरे हैं। ये सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए बने हैं और इन्हें घेरे हुए सातों समुद्र हैं।

    * जम्बुद्वीप इन सब के मध्य में स्थित है *

    ◆ सप्त सागर◆ :-
    खारे पानी का सागर● इक्षुरस का सागर
    मदिरा का सागर ● घृत का सागर
    दधि का सागर ● दुग्ध का सागर
    मीठे जल का सागर

    ★सप्त द्वीप ★
    जम्बूद्वीप • प्लक्षद्वीप • शाल्मलद्वीप •
    कुशद्वीप • क्रौंचद्वीप • शाकद्वीप •
    •पुष्करद्वीप•

    ★ दर्शनीय स्थल ★
    ●द्वादश ज्योतिर्लिंग●इक्यावन शक्तिपीठ●चार धाम
    ●सप्तपुरियां ● सप्तनगरी ●चारमठ(आश्रम)
    ●समाधि स्थल ●पञ्चसरोवर ● देव पर्वत
    ●देव गुफाएं●

    ★सप्त पर्वत★
    महेन्द्रो मलय: सहूयो सुक्तिमान् ऋक्षवानपिं
    विन्ध्यश्च पारियात्रश्च सप्तैता: कुलपर्वताः।
    ● हिमालय ●महेन्द्रगिरी●मलयगिरी● सहयाद्रि●
    ● रैवतक ●विंध्याचल ● अरावली●
    {उदयाचल , अस्ताचल,सपेल}

    इनके अतिरिक्त अमरकण्टक, सरगमाथा, अर्बुदांचल, कैलास आदि शिखरऔर बद्रीनाथ, केदारनाथ ,श्री गोवर्धन आदि पर्वतीय स्थल भी वन्दनीय हैं।



    ★चारधाम ★
    * धर्मग्रंथों में श्री बद्रीनाथ, श्री द्वारका, श्री जगन्नाथपुरी और श्री रामेश्वरम की चर्चा चार धाम के रूप में प्रसिद्ध है ,तथा श्री पुष्कर धाम को सबसे बड़ा धाम माना जाता है ,जो कि राजस्थान मे स्थित है*

    ★मोक्ष दायक सप्ततीर्थ ★
    ● श्री अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार)
    काशी, (वाराणसी) कांची, अवंतिका (उज्जयिनी)
    श्री द्वारिकाधाम ●

    ★सनातन धर्म(हिन्दु) परंपरानुसार सप्त नदियां★
    पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण में स्थित सप्त देव नदियों व पञ्च सरोवरों के जल को बेहद पवित्र माना जाता है;-
    ●श्री गंगा ●श्री गोदावरी ●श्री नर्मदा ●श्री कावेरी
    ●श्री कृष्णा●श्री ब्रह्मपुत्र ●श्री यमुना जी

    ★ मोक्ष दायक दिव्य पञ्च महा सरोवर ★
    ● श्री कैलाश मानसरोवर (हिमालय)
    ●नारायण सरोवर (गुजरात)
    ● बिन्दु सरोवर ( सिद्धपुर, गुजरात)
    ●पम्पा सरोवर (मैसूर)
    ●पुष्कर सरोवर (अजमेर,राजस्थान)

    ★ पांच महा वटवृक्ष ★
    ●सिद्धवट (उज्जैन) ●अक्षयवट (प्रयागराज)
    ●बोधिवट (बोधगया) ●वंशीवट (वृंदावन)
    ● साक्षीवट (गया)

    ★सनातन धर्म की देवीय आत्मा ★
    ●कामधेनु गाय●उच्चै:श्रवाअश्व●ऐरावत हाथी
    ●शेषनाग-वासुकि●गरुड़ ●संपाति-जटायु
    ●रीछ (ऋक्ष) मानव ●वानर मानव
    ●येति●मकर

    ★दश दिक्पाल ★
    (दसों दिशाओं का पालन करनेवाले देवता दिक्पाल कहलाते है)
    पूर्व दिशा के इन्द्र
    अग्निकोण के वह्रि(अग्नि देव)
    दक्षिण दिशा के यम
    नैऋत्यकोण के नैऋत
    पश्चिम दिशा के वरूण
    वायु कोण के मरूत्(वायु)
    उत्तर दिशा के कुबेर
    ईशान कोण के ईश (ईश्वर)
    ऊर्ध्व दिशा के ब्रह्मा
    अध: दिशा के अनंत

    ★अष्ट भैरव★
    ● असितांग भैरव, ● चंड भैरव, ● रूरू भैरव,
    ● क्रोध भैरव, ● उन्मत्त भैरव, ● कपाल भैरव,
    ● भीषण भैरव ● संहार भैरव।

    ★ पञ्च कन्याएं ★
    ● अहिल्या● तारा ● मंदोदरी ● कुंती ●द्रौपदी

    ★अष्ट- मातृका★
    ● ब्राह्मी ● वैष्णवी ● माहेश्वरी ● कौमारी
    ● ऐन्द्री●वाराही ●नारसिंही ●चामुंडा

    ★ अष्ट-लक्ष्मी ★
    ●आदिलक्ष्मी ●धनलक्ष्मी ● धान्यलक्ष्मी ●गजलक्ष्मी
    ●संतानलक्ष्मी ● वीरलक्ष्मी ●विजयलक्ष्मी
    ●विद्यालक्ष्मी

    ★ नवदुर्गा: माँ दुर्गा के ९ रूप ★
    प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
    तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
    पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
    सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
    नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
    उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।



    ◆शैलपुत्री ◆ब्रह्मचारिणी ◆चन्द्रघंटा ◆कूष्माण्डा
    ◆स्कंदमाता ◆कात्यायनी ◆कालरात्रि
    ◆महागौरी ◆सिद्धिदात्री

    ★ दस महाविद्याएं ★
    माँ आद्याशक्ति भगवती जगदम्बिका विभिन्न रूप, गुण, ऐश्वर्य, लीला ,शक्ति सामर्थ्य से संत, भक्त ,देवों के ,तथा जगत के कार्यो को साधने के लिए अनेक रुप धारण किये है ,वे अवतार दस महाविद्याओं के नाम से जाने जाते है I

    【 दस महाविद्याओं को दशावतार माना गया है 】
    ★ काली ★तारा ★ छिन्नमस्ता ★ षोडशी
    ★भुवनेश्वरी ★त्रिपुर भैरवी★ धूमावती
    ★बगलामुखी★मातंगी ★कमला

    ★ अष्ट योगिनियां ★
    ◆सुर-सुंदरी योगिनी ◆मनोहरा योगिनी
    ◆कनकवती योगिनी ◆कामेश्वरी योगिनी
    ◆ रति सुंदरी योगिनी ◆पद्मिनी योगिनी
    ◆ नतिनी योगिनी ◆ मधुमती योगिनी

    ★ महा सती देवियां ★
    ●सती श्री सावित्री ●श्री अनुसुइयाजी●देवीअरुंधती जी
    ● देवी वृंदा तुलसी●देवी श्री सीताजी● देवी दमयंतीजी
    ●देवी श्री मंदोदरी ●श्री सुलक्षणा जी ●
    ● देवी गांधारी ●देवी द्रौपदी जी●

    भूत अर्थात् जिसकी सत्ता हो या जो विद्यमान रहता हो, उसे भूत कहते हैं
    सात प्रकार की भूत योनियां शास्त्रों में वर्णित है :-
    ●भूत ●प्रेत ●पिशाच ● कुष्मांडा
    ● ब्रह्म राक्षस ●वेताल
    ●क्षेत्रपाल

    ★ प्रमुख अप्सराएं ★
    * उर्वशी, रम्भा,मेनका, तिलोत्तमा*
    कृतस्थली, पुंजिकस्थला, प्रम्लोचा, अनुम्लोचा,
    घृताची, वर्चा, पूर्वचित्ति ,सुगंधा, सुप्रिया,
    मृगाक्षी, तिलोत्तमा आदि

    ★दैवीय सम्पदाएँ ★
    ●कल्पवृक्ष●अक्षयपात्र ●कवच कुंडल● पांचजन्य शंख
    ● कौस्तुभ मणि ●दिव्य धनुष और तरकश
    ● स्यंमतक मणि ●संजीवनी बूटी
    ●शिरोमणि(अश्वत्थामा की मणि)
    ●पारस मणि●

    ★ समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्न ★:
    ●अमृत ● ऐरावत ●कल्पवृक्ष ●कौस्तुभमणि
    ●उच्चैश्रवा घोड़ा ● शंख ●चंद्रमा
    ● धनुष ●कामधेनु●धनवंतरि वैध
    ● रम्भा अप्सरा ●लक्ष्मी
    ●वासुकी ●वृक्ष

    ★ दिव्य पेय ★
    ◆चरणामृत ●पंचामृत ●पंचगव्य ●अमृत ●तुलसी रस
    ●सोमरस(सोमलता रस)●खीर ●आंवला रस
    ●तीर्थोदक ● गौ दुग्धं

    ◆अष्ट सिद्धियों के नाम◆
    ◆ अणिमा◆
    इससे शरीर को बहुत ही छोटा बनाया जा सकता है।
    ◆ महिमा◆
    शरीर को बड़ा कर कठिन और दुष्कर कामों को आसानी से पूरा करने की सिद्धि।
    ◆लघिमा◆
    सिद्धि से शरीर छोटा होने के साथ हल्का भी बनाया जा सकता है।
    ◆ गरिमा◆
    शरीर का वजन बढ़ा लेने की सिद्धि। अध्यात्म के नजरिए से यह अहंकार से दूर रहने की शक्ति भी मानी जाती है।
    ◆प्राप्ति◆
    मनोबल और इच्छाशक्ति से मनचाही चीज पाने की सिद्धि.
    ◆प्राकाम्य◆
    कामनाओं को पूरा करने और लक्ष्य पाने की सिद्धि.
    ◆वशित्व◆
    समस्त चराचर को अपने वश में करने की सिद्धि.
    ◆ ईशित्व◆
    इष्ट सिद्धि और ऐश्वर्य सिद्धि.

    ★नव निधियां★
    ●. पद्म निधि ● पद्म निधि के लक्षणों से संपन्न मनुष्य सात्विक गुण युक्त होता है, तो उसकी कमाई गई संपदा भी सात्विक होती है। सात्विक तरीके से कमाई गई संपदा से कई पीढ़ियों को धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। ऐसे व्यक्ति सोने-चांदी रत्नों से संपन्न होते हैं और उदारता से दान भी करते हैं।

    ●महापद्म निधि ●
    महापद्म निधि भी पद्म निधि की तरह सात्विक है। हालांकि इसका प्रभाव सात पीढ़ियों के बाद नहीं रहता। इस निधि से संपन्न व्यक्ति भी दानी होता है और सात पीढियों तक सुख ऐश्वर्य भोगता है।

    ● नील निधि ●
    नील निधि में सत्व और रज गुण दोनों ही मिश्रित होते हैं। ऐसी निधि व्यापार द्वारा ही प्राप्त होती है इसलिए इस निधि से संपन्न व्यक्ति में दोनों ही गुणों की प्रधानता रहती है। इस निधि का प्रभाव तीन पीढ़ियों तक ही रहता है।

    ●मुकुंद निधि●
    मुकुंद निधि में रजोगुण की प्रधानता रहती है इसलिए इसे राजसी स्वभाव वाली निधि कहा गया है। इस निधि से संपन्न व्यक्ति या साधक का मन भोगादि में लगा रहता है। यह निधि एक पीढ़ी बाद खत्म हो जाती है।

    ● नंद निधि ●
    नंद निधि में रज और तम गुणों का मिश्रण होता है। माना जाता है कि यह निधि साधक को लंबी आयु व निरंतर तरक्की प्रदान करती है। ऐसी निधि से संपन्न व्यक्ति अपनी प्रशंशा से खुश होता है।

    ● मकर निधि ●
    मकर निधि को तामसी निधि कहा गया है। इस निधि से संपन्न साधक अस्त्र और शस्त्र को संग्रह करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति का राजा और शासन में दखल होता है। वह शत्रुओं पर भारी पड़ता है और युद्ध के लिए तैयार रहता है। इनकी मृत्यु भी अस्त्र-शस्त्र या दुर्घटना में होती है।

    ● कच्छप निधि●
    कच्छप निधि का साधक अपनी संपत्ति को छुपाकर रखता है। न तो स्वयं उसका उपयोग करता है, न करने देता है। वह सांप की तरह उसकी रक्षा करता है। ऐसे व्यक्ति धन होते हुए भी उसका उपभोग नहीं कर पाता है।

    ● शंख निधि●
    शंख निधि को प्राप्त व्यक्ति स्वयं की ही चिंता और स्वयं के ही भोग की इच्छा करता है। वह कमाता तो बहुत है, लेकिन उसके परिवार वाले गरीबी में ही जीते हैं। ऐसा व्यक्ति धन का उपयोग स्वयं के सुख-भोग के लिए करता है, जिससे उसका परिवार गरीबी में जीवन गुजारता है।

    ● खर्व निधि●
    खर्व निधि को मिश्रत निधि कहते हैं। नाम के अनुरुप ही अन्य आठ निधियों का सम्मिश्रण होती है। इस निधि से संपन्न व्यक्ति को मिश्रित स्वभाव का कहा गया है। उसके कार्यों और स्वभाव के बारे में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। माना जाता है कि इस निधि से संपन्न व्यक्ति विकलांग या घमंडी होता हैं, यह मौके मिलने पर दूसरों का धन व सुख भी छीन सकता है।

    ★ ●अंत में सच्ची निधि ● ★
    जीवन की प्रमुख तीन दशा होती हैं-
    • आत्मिक • बौद्धिक •सांसारिक
    इन तीनों दशाओं में आत्मबल बढ़ने से आनंददायक परिणाम प्राप्त होते हैं1
    आत्मिक क्षेत्र की तीननिधियां-
    ● विवेक, ● पवित्रता ● शांति
    बौद्धिक क्षेत्र की तीन निधियां-
    ●साहस ● स्थिरता ●कर्तव्यनिष्ठा
    सांसारिक क्षेत्र की तीन निधियां-
    ●स्वास्थ्य, ●समृद्धि, ●सहयोग

    विश्व प्रसिद्ध खाटूधाम में श्री खाटूनरेश ,श्री श्याम बाबा की प्रेरणा से रींगस रोड पर सनातन धर्म सेवा समिति "आध्यात्मिक सिद्धि साधना जन कल्याण केंद्र के रुप में उत्तर भारत का प्रथम "श्री स्वर्णाकर्षण शक्तिपीठ " के निर्माण कार्य में आप भी सहयोग कीजिए और सहयोग की प्रेरणा भी दीजिये *
    ●जय सनातन, जय श्री राधे , जय श्री श्याम●

    * संस्थापक *
    आचार्य- भगवत् शरण भगवान जी महाराज
    भागवताचार्य,ज्योतिष ,वेदांत ,वास्तु व यज्ञानुष्ठानविद्