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    अनुरोध

    न जातु कामान्न भयान्न लोभात् धर्मं त्यजेज्जीवितस्यापि हेतो: |
    नित्यो धर्म: सुखदु:खे त्वनित्ये नित्यो जीवो धातुरस्य त्वनित्य: ||

    अर्थात :-
    इच्छा पूर्ति हेतु, भय, लोभ या प्राण जानेके भयसे धर्मका परित्याग नहीं करना चाहिए; क्योंकि धर्म ही शाश्वत है और सुख -दु:ख क्षणिक हैं, स्थूल देह नश्वर है और आत्मा शाश्वत है I

    सनातन धर्म सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का गूढ़ ज्ञान समेटे हुए विश्व का सर्वप्रमुख और प्राचीनतम धर्म है। इसकी समस्त मान्यताएँ और परम्पराएँ पूर्णतः वैज्ञानिक हैं। वस्तुतः यह एक जीवन शैली है जो मनोवैज्ञानिक होने के साथ-साथ व्यावहारिक भी है। सत्य सनातन धर्म पथ के अद्भुत, अकल्पनीय, अद्वितीय, वाङ्गमय मूर्ति स्वरूप चार वेद, उपवेद, वेदांग,छ:शास्त्र, उपनिषद अट्ठारह पुराण,महाकाव्य आदि विश्व भर में अद्वितीय, अनुकरणीय,आदरणीय है! गौ माता ,गंगा, गीता, गायित्री और गोविंद गोवर्धन जैसी शाश्वत,सत्य, सनातन धर्म संस्कृति को दैनिक जीवन में अपना कर मानव जीवन को धन्य बनाये ।

    सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
    सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।